कॉटन अवैध बीज से हरियाणा पंजाब संकट में
हरियाणा और पंजाब में इस साल
भी कपास के उत्पादन पर बड़ा
खतरा मंडरा रहा है। इस आशंका
की चपेट में हरियाणा-पंजाब की
सीमा से लगते राजस्थान का कुछ
हिस्सा आ सकता है। पिछले साल
हरियाणा-पंजाब में गुलाबी सुंडी,
सफेद मच्छर और अति वृष्टि ने
उत्पादन काफी कमजो कर दिया
था, जिससे नरमा कपास के
किसानों की कमर टूट गई, लेकिन
ऊंचे दामों ने उन्हें कुछ सहारा
दिया। इस बार हरियाणा-पंजाब में
पिछले साल की तुलना में बिजाई
भी कमजोर है और कथित नकली
बीजों के कारण 35 से 50
प्रतिशत फसल खत्म होने की
कगार पर है।
हरियाणा के सिरसा,
फतेहाबाद और पंजाब के
अबोहर फाजिल्का, बठिंडा क्षेत्र
में इस साल बड़ी मात्रा में गुजरात
से आए कुछ व्यापारियों ने सीधे
किसानों को उच्च क्वालिटी का
बीज कहकर बेच दिया। इस बीज
से की गई बिजाई की फसल एक
डेढ़ फुट से आगे नहीं बढ़ रही
और न ही फूल टिंडे जैसी स्थिति
बनती हुई दिखाई दे रही है। पंजाब
कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के
कपास विशेषज्ञों ने कपास
उत्पादक जिलों का निरीक्षण करने
के बाद बताया कि अवैध 4 बीजी
और 5 बीजी की विभिन्न किस्में
देखने को मिली है, जिनके पौधे
विकास नहीं कर रहे और उन पर
फूल भी नहीं आ रहे। कपास
वैज्ञानिकों ने कहा कि जो भी
पंजाब व अन्य किसी प्रतिष्ठित
विश्वविद्यालय की संस्तुति से
बाजार में उतारे गए हैं, उनमें कोई
शिकायत नहीं है, लेकिन जो
गुजरात से लाकर पौधे लगाए गए
हैं,
उनमें उत्पादन शून्य होता दिख
रहा है। सिरसा फतेहाबाद जिलों
में भी इस तरह के बीज बिक्री
होने की जानकारी मिली है और
इनसे की गई बिजाई की फसल
पूरी तरह अविकसित है। इससे
अनुमान लगाया जा सकता है कि
हरियाणा-पंजाब का कपास
उत्पादन बड़े स्तर पर प्रभावित
होता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे
पहले यहां सफेद मच्छर, गुलाबी
सुंडी और अति वृष्टि से नुकसान
होने की खबर है।
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